पाइलोनिडल साइनस की बढती समस्या एवं इसका इलाज
आजकल की ख़राब जीवनशैली के कारण अनेक स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती रहती हैं। एक ऐसी ही समस्या का नाम है - पाइलोनिडल साइनस। इसके बारे में बहुत कम लोगो को पता है, लेकिन ये रोग आजकल के युवाओ में तेजी से बढ़ रहा है। जो लोग कंप्यूटर पर काम करते हैं या गाडी चलाते हैं उनको काफी देर तक एक ही जगह पर बैठना पड़ता है। इन व्यक्तियों में पाइलोनिडल साइनस रोग होने की सम्भावना ज्यादा रहती है।
पाइलोनिडल साइनस एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी के कूल्हों के ऊपरी हिस्से में बीच में एक या अनेक छिद्र या फोड़े बन जाते हैं जिसमें दर्द होता है और मवाद भी आती है। ये आमतौर पर सोलह से तीस वर्ष की उम्र के बीच के लोगो में पाया जाता है।
पाइलोनिडल साइनस के प्रमुख कारण-
- शरीर पर बालों की अधिकता
- अधिक समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना
- साइकिल, मोटर साइकिल या गाडी का अत्यधिक चलाना
- व्यायाम की कमी
- मोटापा
पाइलोनिडल साइनस कैसे उत्पन्न होता है
ऐसा माना जाता है कि कूल्हों के हिस्से में रगड़ लगने से बाल टूट जाते हैं और ये बाल धीरे-धीरे त्वचा के अंदर चले जाते हैं। इससे त्वचा के नीचे संक्रमण फ़ैल जाता है और वहां पर छोटे-छोटे फोड़े या छिद्र बन जाते हैं जो त्वचा के अंदर आपस मे मिले हुए रहते हैं।
पाइलोनिडल साइनस के लक्षण -
- रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में दर्द, सूजन और लालिमा
- रोगी को बैठने पर दर्द होता है
- किसी-किसी मरीज मे बिलकुल दर्द नहीं होता है
- कूल्हों के ऊपरी हिस्से में छिद्र या फोड़े बन जाते हैं
- किसी फोड़े में से बाल निकलते हुए भी दिखाई दे सकते हैं
- मवाद या खून आता रहता है
- खुजली
- बुखार
पाइलोनिडल साइनस की चिकित्सा -
शुरुआत में इसको एक बालतोड़ समझा जाता है और अधिकतर मरीज एंटीबायोटिक्स दवाओं के द्वारा इसे सुखाने की कोशिश करते हैं। लेकिन इससे सिर्फ कुछ दिनों का ही आराम मिलता है और यह फिर से वापस आ जाता है। सर्जरी करने पर इसके दोबारा होने की संभावना रहती है और कुछ कॉम्प्लीकेशन्स होने का भी खतरा रहता है। किसी भी प्रकार की औषधि से इसको ठीक करना मुश्किल है। आयुर्वेद में पाइलोनिडल साइनस के लिए एक विशेष चिकित्सा क्षार-सूत्र थेरेपी उपलभ्ध है जिससे इसकी सफल चिकित्सा संभव है। इसमें औषधियो द्वारा निर्मित एक धागे का प्रयोग किया जाता है जिसको क्षार-सूत्र कहते हैं। क्षार सूत्र चिकित्सा से लगभग 5-10 हफ्तों मे पाइलोनिडल साइनस ठीक कर सकते हैं।
पाइलोनिडल साइनस में क्षार सूत्र चिकित्सा के लाभ
- यह एक नॉन-सर्जिकल चिकित्सा है
- ठीक होने की सम्भावना सर्वाधिक होती है
- किसी भी प्रकार का साइड इफ़ेक्ट नहीं होता
- इलाज़ के दोरान रोगी अपनी जॉब कर सकते हैं
- अस्पताल मे भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती
पाइलोनिडल साइनस से ग्रस्त व्यक्ति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- जिस हिस्से पर रोग हुआ है उस हिस्से को सूखा और स्वच्छ रखें।
- दिन में दो से तीन बार गर्म पानी के टब में बैठें।
- सूती अंतर्वस्त्र और सूती कपड़े ही पहनें।
- लम्बे समय तक सख्त या कड़ी सतह पर ना बैठें।
- उस हिस्से के बालों को साफ़ रखें।
यदि आप या आपका कोई सम्बन्धी पाइलोनिडल साइनस से ग्रस्त है तो आज ही क्षार सूत्र चिकित्सा के लिए वैद्य दीपक राठी से संपर्क कर सकते हैं।
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